Chintan Ke Swar (चिंतन के स ) (en Hindi)

Sharma, Chandrapal · Diamond Books

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Reseña del libro

डॉ० चन्द्रपाल शर्मा मेरे सहपाठी रहे हैं और आयु में मुझसे लगभग तीन महीने बड़े हैं। अतः उनकी पुस्तक 'चिन्तन के स्वर' की भूमिका लिखने में संकोच का भाव रहा है। डॉ० शर्मा कृषक के बेटे हैं और उन्होंने अपनी ज्ञान-यात्रा उसी सर्जनात्मक मनोभूमि से की है और ज्ञान की नयी फसलें उगायी हैं और कृषक की तरह ही अपनी उपज को साहित्य-संसार को सौंप दिया है। वे लगभग चालीस वर्षों तक हिन्दी के प्रोफेसर रहे हैं और गोस्वामी तुलसीदास, काव्य-शास्त्र, अंक-शास्त्र तथा सांस्कृतिक-पौराणिक आख्यानों पर उनका विशेष अध्ययन है। वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक ऐसे आलोचक एवं शोधकर्मी हैं जिन्होंने अपने मौलिक शोध-कार्यों तथा नवीन स्थापनाओं से हिन्दी साहित्य में विशिष्ट पहचान बनायी है। उनके प्रकाशित ग्रन्थों में- 'काव्यांग विवेचन और हिन्दी साहित्य का इतिहास', 'गोस्वामी तुलसीदास व कवितावली', 'ऋतु-वर्णन परम्परा और सेनापति का काव्य' तथा 'भारतीय संस्कृति और मूल-अंक' आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इनमें 'भारतीय संस्कृति और मूल-अंक' कृति ने उन्हें विशेष ख्याति दी है। हिन्दी में अंकों को लेकर इससे पूर्व इतनी शोधपरक तथा नवीन ज्ञानपरक पुस्तक इससे पूर्व नहीं लिखी गयी।

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