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Dharm Yog aur Adhyaatm ka Saar
Radha Kumar Krishan
(Autor)
·
Zorba Books
· Tapa Blanda
Dharm Yog aur Adhyaatm ka Saar - Krishan, Radha Kumar
Sin Stock
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Reseña del libro "Dharm Yog aur Adhyaatm ka Saar"
आदमी को इस दुनिया के बहुत सारी चीजों के विषय में पता है, लेकिन वह अपने विषय में अनजान है। इसे पता नहीं है की उसका स्वरुप क्या है ? क्या वह मन, पांच ज्ञानेंद्रिय, पांच कर्मेन्द्रियों से बना पांच तत्वों का शरीर मात्र है या वह खुद ब्रम्ह स्वरुप है? दरअसल आदमी अज्ञान में जिंदगी जीते हुए एक दिन मर जाता है । उसे अपने विषय में तनिक भी ज्ञान नहीं है कि वह स्वयं ही ब्रह्म स्वरुप है जिसे छान्दोग्य उपनिषद ने 'तत् त्वम् असि' या 'तत्त्वमसि' कहा है,अर्थात वह ब्रह्म तुझमें, मुझमें और सब जीवों में है। बृहदारणक्य उपनिषद 'अहम् ब्रह्मस्मि' का उद्घोष करता है, अर्थात मैं ही ब्रह्म हूँ। ऐतरेय उपनिषद; प्रज्ञान ब्रह्म; कहता है, यानि ब्रह्म का बोध ही ज्ञान है । लेकिन अपने ब्रह्म स्वरुप का अहसास केवल गहन ध्यान की अवस्था यानि समाधी की अवस्था में किया जा सकता है। इंसान खुद ही ब्रह्म स्वरुप है, मगर उसका तनिक भी एहसास उसे नहीं है। वह अज्ञान में ही जीवन को बर्बाद करके इस दुनिया से विदा हो जाता है हिन्दू कहें मोहि राम पियारा,तुर्क कहें रहमाना, आपस में दोउ लड़ी लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।यानि धर्म क्या ? उसका तात्विक सार क्या? इसे आम लोगो को पता नहीं है और आदमी में मानवीय सं
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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Blanda.
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