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portada Kala aur Sanskriti
Formato
Libro Físico
Año
2020
Idioma
Hindi
N° páginas
266
Encuadernación
Tapa Dura
ISBN13
9789353229436

Kala aur Sanskriti

Vashudeva Sharan Agrawal (Autor) · Prabhat Prakashan · Tapa Dura

Kala aur Sanskriti - Vashudeva Sharan Agrawal

Sin Stock

Reseña del libro "Kala aur Sanskriti"

'संस्कृति क्या है' और 'कला क्या है', इन दो प्रश्नों के उत्तर अनेक हो सकते हैं। संस्कृति मनुष्य के भूत, वर्तमान और भावी जीवन का सर्वांगीण प्रकार है। विचार और कर्म के क्षेत्र में राष्ट्र का जो सृजन है, वही उसकी संस्कृति है। संस्कृति मानवीय जीवन की प्रेरक शक्ति है। वह जीवन की प्राणवायु है, जो उसके चैतन्य भाव की साक्षी है। संस्कृति विश्व के प्रति अनंत मैत्री की भावना है। संस्कृति के द्वारा हम दूसरों के साथ संतुलित स्थिति प्राप्त करते हैं। विश्वात्मा के साथ अद्रोह की स्थिति और संप्रीति का भाव उच्च संस्कृति का सर्वोत्तम लक्षण है। स्थूल जीवन में संस्कृति की अभिव्यक्ति कला को जन्म देती है। कला का संबंध जीवन के मूर्त रूप से है। संस्कृति को मन और प्राण कहा जाए तो कला उसका शरीर है। कला मानवीय जीवन की अनिवार्य आवश्यकता है। भारतीय कला का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत था। प्राचीन काल से आनेवाले अनेक सूत्र नगर और गाँवों के जीवन में अब भी बिखरे हुए हैं। बंगाल की अल्पना, राजस्थान के मेहँदी-माँडने, बिहार के ऐपन, उत्तर प्रदेश के चौक, गुजरात-महाराष्ट्र की रंगोली और दक्षिण-भारत के कोलम-इनके वल्लरी-प्रधान तथा आकृति-प्रधान अलंकरणों में कला की एक अति प्राचीन लोकव्यापी परंपरा आज भी सुरक्षित है। अत्यंत रोचक शैली में लिखी भारतीय कला और संस्कृति का सांगोपांग दिग्दर्शन कराने वाली पठनीय पुस्तक।

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El libro está escrito en Hindi.
La encuadernación de esta edición es Tapa Dura.

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